रनजिता का लेख "कुडियाट्ट्म" पर लिखा है। उसने शुरुआतोँ मे लिखा है कि यह कला पारंपरिक रूप से केरल में जन्म लिया थ, भारत के राज्य में प्रदर्शन संस्कृत थिएटर का एक रूप है। हिंदू मंदिरों में इसे संस्कृत भाषा में प्रदर्शन किया करते, यह माना जाता है कि 2,000 साल पुराना है। रनजिता के लेख में उसने कुडियाट्ट्म के वेश्भुशा और मेकअप पर काफि ध्यान दिया है। यह केरल के लोक नृत्य है। रनजिता के लेख से हमे कुडियाट्टम और उसके वेशभुशा और मेकअप के बारे में काफि जानकारी मिली। इसके लेख में काफि जानकारि और ग्यान प्राप्त करने को मिलता है।


रंजिता के लेख तटीय पश्चिमी दक्षिण भारत की बहुत ही सुंदर कला की रूप के बारे में है। वह कुडियाटम के इतिहास के बारे में एक संक्षिप्त अभी तक जानकारीपूर्ण विवरण दिया गया है। इस कला की अलंकार वस्त्र, वेशभूषा और इशारों की बहुत उपयोगी जानकारी हैं। वह इस्तेमाल किया गया जो भाषा है वह बहुत औपचारिक और प्रभावशाली है। कुल मिलाकर वह अपने लेख के साथ एक अद्भुत काम किया है।