यह लेख मिंस्की नामक अर्थशास्त्री के आर्थिक सिद्धांत के विषय में है। इस सिद्धांत के अनुसार ऋण की सुलभता अधिकतर ऋणी के हक़ में नहीं होता है और अक्सर राष्ट्रीय और अनतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट में परिवर्तित हो जाता है। अतः यह एक रोचक विषय पर लेख है। इसे पढ़ने के पश्चात् ऐसा प्रतीत होता है की इसमें अनेक सुधार ला कर इसे पाठकों के लिए रुचिकर बनाया जा सकता है। ऐसे वांछनीय सुधार नीचे दिए गए हैं।

कुछ वाक्य ऐसे हैं जिनका अर्थ पहली नजर में उभर कर नहीं आता है। उदहारण के लिए निम्लिखित वाक्य है: "वित्तीय अस्थिरता परिकल्पना अनुभवजन्य और सैद्धांतिक पहलुओं है।" इस वाक्य को पढ़ कर लेखक के सन्देश को समझ पाना मुश्किल है।

कुछ एक वाक्य के बनावट में शब्दों का अनुक्रमण और चयन दोनों ही त्रुटिपूर्ण है। यह बात नीचे दिए गए वाक्य में दीखता है: “1941 में, मिन्स्की उसकी बी.एस. प्राप्त शिकागो विश्वविद्यालय से गणित में है और एक एमपीए कमाने चला गया और एक पीएच.डी।" यह वाक्य इस प्रकार होना चाहिए था: “१९४१ में मिंस्की शिकागो विश्वविद्यालय से गणित में बी.एस. के डिग्री प्राप्त कर एमपीए और पी एच डी की पढ़ाई के लिए चला गया।”

सम्बोधन और शब्द का भी मेल सही नहीं है। उदाहरण के लिए निम्लिखित वाक्य का अवलोकन करें: “उनकी मृत्यु के समय वह बार्ड कॉलेज की लेवी अर्थशास्त्र संस्थान में एक विशिष्ट विद्वान था।" यह साफ़ है कि सम्बोधन अगर उनके है तो विद्वान के बाद थे शब्द का प्रयोग उपयुक्त था न की था।

यदि कुछ चित्र होते, जैसे मिन्स्की की, तो पाठकों को उनके योगदान के साथ-साथ उनके आकार एवं स्वरुप का भी पता चलता। ऐसा करने से उन्हें पहचानना आसान हो जाता। संदर्भ से संबंधित भी कोई जानकारी नहीं हैं।

प्रिय विकिपीडिया प्रयोगकर्त्ता, कुल मिलाकर, आपके द्वारा लिखित लेख सूचनात्मक है। --Sinha Aasawari S (talk) 15:10, 16 January 2016 (UTC)Reply